Ardhanarishwar Stotram

Ardhanarishwar Stotram
चाम्पेयगौरार्धशरीरकायै कर्पूरगौरार्धशरीरकाय |
धम्मिल्लकायै च जटाधराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ||
चम्पा के पुष्प के समान गौर अर्ध शरीरवाले पार्वतीजीको एवम् कर्पूर समान गौर अर्ध शरीरवाले शिवजी कोमोती और फूलोसे सुशोभित केशवाले [धम्मिल्लकायै] शिवाको एवम जटावाले शिवजीको प्रणाम |
कस्तूरिकाकुंकुमचर्चितायै चितारजःपुंजविचर्चिताय |
कृतस्मरायै विकृतस्मराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ||
कस्तुरी और कुमकुमसे लिपटे हुए पार्वतीजी को एवम चिताकी राखके ढेर से लिपटे हुए शिवजीकोकामदेवको जगानेवाले शिवाको एवम कामदेवका नाश करनेवाले शिवजीको प्रणाम |
चलत्क्रणत्कंकणनूपुरायै पादब्जराजत्फणिनुपूराय |
हेमांगदायै भुजगांगदाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ||
जिनके हाथ में खनकते हुए कंगन और पैरमें नूपुर है एवम जिनके चरण कमल में सर्परूपी नूपुर है और जिनकी भूजा पर सोने के बाजुबंद [अंगद] लिपटे हुए है ऐसे शिवाको एवम जिनकी भूजा पर सर्पोके बाजूबंद लिपटे हुए है ऐसे शिवजी को प्रणाम |
विशालनीलोत्पललोचनायै विकासिपंकेरुहलोचनाय |
समेक्षणायै विषमेक्षणाय नमः शिवायै च नमः शिवाय ||
प्रसन्न नीलकमल समान नेत्रवालेको एवम संपूर्ण तरहसे विकसित कमल समान नेत्रवालेकोदो नेत्रवाले शिवाको और त्रिनेत्रवाले शिवजीको प्रणाम |
मन्दारमालाकलितालकायै कपालमालांकितकन्धराय |
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ||
जिनके घुंघराले बाल मंदार पुष्पोकी मालासे सुशोभित है एवम जिनकी गरदन खोपडीओं की मालासे सुशोभित हैजिसने दिव्य वस्त्र धारण किये हो एवम जिसने दिशाओंके वस्त्र धारण किये याने निःवस्त्र हो ऐसे शिवा शिवको प्रणाम |
अम्भोधरश्यामलकुन्तलायै तडित्प्रभाताम्रजटाधराय |
निरीश्वरायै निखिलेश्वराय नमः शिवायै च नमः शिवाय ||
जिनके श्यामल केश जलसे भरे बादल [अम्भोधर] समान है एवम जिनकी ताम्रवर्णीय जटा चमकीली बिजली के समान हैजो हंमेशा स्वतंत्र है यानी जिनके कोई ईश्वर नहीं है एवम जो सर्व लोकके स्वामी है ऐसे शिवा शिवको प्रणाम |
प्रपंचसृष्ट्युन्मुखलास्यकायै समस्तसंहारकताण्डवाय |
जगज्जनन्यै जगदेकपित्रे नमः शिवायै च नमः शिवाय ||
जो विश्वप्रपंचके सर्जनके अनुकूल नृत्य करनेवाले को एवम समस्त विश्व प्रपंचका संहार करनेवाला तांडव नृत्य करनेवालेकोविश्वमाताको एवम विश्वपिताको अर्थात शिवा शिवको प्रणाम |
प्रदीप्तरत्नोज्जवलकुण्डलायै स्फुरन्महापन्नगभूषणाय |
शिवान्वितायै च शिवान्विताय नमः शिवायै च नमः शिवाय ||
जिन्होंने अति झगमगाते रत्नोके उज्जवल कुंडल पहने है एवम जिन्होंने अति भयानक सर्पोंके आभूषण पहने हैजो शिवजीसे समन्वित हुए हो एवम जो शिवासे  [पार्वतीजी]से समन्वित हुए हो ऐसे शिवा शिवको प्रणाम |
एतत्पठेदष्टकमिष्टदं यो भक्त्या स मान्यो भुवि दीर्घजीवी |
प्राप्नोति सौभाग्यमनन्तकालं भूयात्सदा तस्य समस्तसिद्धिः ||
जो मनुष्य इस ईष्ट वस्तुका प्रदान करनेवाले अष्टक का भक्तिपूर्वक पाठ करता है वह संसारमें सन्मानित होता हैदीर्घायु होता हैअनंत काल तक वह सौभाग्य प्राप्त करता है एवम उसको हमेशा समस्त सिद्धि प्राप्त होती है |